Dr.Amebedkar का बुद्धिज़्म से परिचय कब से और कैसे
Dr.Amebedkar and Buddhism |
डॉ भीमराव अंबेडकर के बौद्ध धर्म अपनाने का एक मुख्य कारण यह भी था कि वे बचपन से ही बौद्ध धर्म से प्रभावित थे ,इसके बारे में बाबा साहब ने “बुद्ध और उनका धम्म “पुस्तक की भूमिका में लिखा है कि ,जिस वर्ष उन्होंने 4th Class परीक्षा उत्तीर्ण की थी तो उनकी जाति के लोगों ने उन्हें बधाई देने के लिए सार्वजनिक सभा Public meeting का आयोजन किया था, सभा के सभापति साहित्यकार और विद्वान दादा केलुस्कर थे सभा के अंत में दादा केलुस्कर ने बालक भीम को बुद्ध के जीवन पर अपनी स्वयं की लिखी पुस्तक भेंट की थी, बालक भीम ने वह पुस्तक बड़े ही चाव से पड़ डाली और पढ़कर अत्यंत प्रभावित influenced एवं द्रवित हुये, बालक भीम ने अपने पिताजी से पूछना शुरु कर दिया कि आप हम सबको बौद्ध साहित्य Buddhist literature से परिचित क्यों नहीं कराते आप हमें महाभारत और रामायण पढ़ने पर इतना जोर क्यों देते हैं ,जो ब्राह्मणों तथा क्षत्रियों की महानता और शूद्रों एवं अछूतों की नीचता को दर्शाने वाले वृतान्तों Annotations से भरे पड़े हैं, बालक भीम पिताजी द्वारा दी गई रामायण,महाभारत की पुस्तकों को पहले भी पढ़ चुके थे, फिर दादा केलुस्कर द्वारा दी गई भगवान बुद्ध की जीवनी (Biography of Lord Buddha) पढ़ने के बाद बुद्ध की ओर मुड़े ,तथा उस अल्प आयु में भी बालक भीम रामायण महाभारत के पात्रों तथा भगवान बुद्ध के चरित्र और ज्ञान की तुलना कर पाते थे, इसी तुलनायक अध्ययन Comparative Study के कारण बालक भीम के मन में Buddha के प्रति में रुचि उत्पन्न हुई तथा हिंदू (ब्राह्मण) धर्म के प्रति विद्रोह भड़का । हिंदू धर्म में व्याप्त वर्ण व्यवस्था और ऊंच-नीच की व्यवस्था, बाबा साहब को कभी रास नहीं आई, बाबा साहब का मानना था, कि जिस तरह भारत देश के लिए स्वराज्य जरूरी है वैसे ही दलित वर्ग के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी है क्योंकि दोनों का उद्देश्य Objective आजादी की चाह है । ऐसे अनगिनत कारणों और विशेषताओं के कारण बाबा साहब ने महाराष्ट्र के नागपुर शहर में 14 अक्टूबर सन 1956 को अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी यह एक अद्भुत संयोग है कि मैं यह लाइनें आज 14 अक्टूबर सन 2016 को लिख रहा हूं बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने उपस्थित जनसमूह Crowd को 22 प्रतिज्ञा दिलावायी थी वे प्रतिज्ञाएं है :-
डॉ. अम्बेडकर द्वारा दिलायी गई 22 प्रतिज्ञाएँ |
बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने नागपुर में विशाल जनसमूह के सामने एक महान भाषण में जनता से बौद्ध धम्म में दीक्षित होने का आवाहन किया तथा दलित वर्ग को गंदे कामों को छोड़ने का आह्वान किया तथा खासतौर से महारों को मृत पशुओं का सड़ा गला मांस (Rotten Meat) न खाने की सलाह दी |
15 अक्टूबर सन 1956 को दीक्षाभूमि बाबा साहब ने नव दीक्षित बौद्धों को संबोधित करते हुए कहा कि "आप लोग ऐसे काम करने चाहिए जिन कामों से आप लोगों का अन्य लोगों के मन में आपका आदर बड़े, यह धम्म अपनाकर गले में बोझ लटका लिया है, ऐसा मत समझिए बौद्ध धम्म की दृष्टि से भारत अब शून्यवत है ,इसलिए हमें अच्छी तरह से धम्म का पालन करने का संकल्प Oath लेना चाहिए, यदि हमने यह कर लिया तो हमारे साथ-साथ देश का उद्धार करोगे ,बाबा साहब ने यही कहा था तथागत बुद्ध ने उस समय की परिस्थितियों के अनुसार अपने धम्म को प्रचार का मार्ग तैयार किया था, अब हमें भी योजना बनानी चाहिए इसीलिए हर किसी को हर एक व्यक्ति को दीक्षा देनी चाहिए हर एक बौद्ध व्यक्ति को दीक्षा देने का अधिकार है मैं ऐसा ऐलान Announcement करता हूँ "
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