वैदिक धर्म तथा वर्धमान महावीर स्वामी
वैदिक धर्म तथा वर्धमान महावीर स्वामी |
ऋग्वेद को World का सबसे प्राचीन ग्रंथ माना जाता है इतिहासकारों के अनुसार ऋग्वेद की रचना संभवतः 1500 पूर्व से 1000 ईसा पूर्व के मध्य की गई होगी, इसके बाद में 1500 ईसा पूर्व से 200 ईसा पूर्व में अन्य तीन वेदों की रचना हुई होगी वेदों की संख्या 4 है ऋग्वेद ,यजुर्वेद, सामवेद, अर्थवेद ऋग्वेद से मिलता जुलता ग्रंथ ईरान में भी पाया जाता है, जिसका नाम अवेस्ता Avestan ग्रंथ है , डॉ. राधा कुमुंद के अनुसार “ ऋग्वेद और अवेस्ता में इतनी अधिक समानता है कि पूरे अनुच्छेद के अनुच्छेद भारतीय भाषा में बिना किसी शब्द अथवा बनावट के अनुसार किये जा सकते है ।”
हिंदू धर्म में वेदों का अत्यधिक महत्व है, वेदों (The Vedas) को प्रमाणिक ग्रंथ मानी जाती है, यानि वेदों में लिखी हर एक बात पूर्ण रुप से सत्य माना जाता हैं। ऐसा माना जाता है कि, जिस प्रकार संसार (World) की वस्तुओं को देखने के लिए आंखों की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार अलौकिक (Superhuman दूसरे संसार) तथ्यों को जानने के लिए वेदों की आवश्यकता होती हैं। वेदों में विश्वास नहीं रखने वालों को और वेदों की निंदा करने वालों को नास्तिक कहा जाता है। वेदों को प्रमाणिक ग्रंथ Texts मानकर ही पुराणो और रामायण, महाभारत की रचना की गई, इसलिए वेदों और महाकाव्य Epic को वेदों का अंग माना गया है। वेदों में ऐसे कई सिद्धांतों को माना गया है जिनका हिंदू धर्म (ब्राह्मण धर्म) को मानने वालों व्यक्ति पालन करते हैं उन सिद्धांतों Principle में मुख्य सिद्धांत हैं।
- वेदों की रचना ईश्वरकृत (Devoted) है, वेद ब्रह्मा के मुख से निकले हैं।
- चूंकि वेद ब्रह्मा के मुख से निकले हैं इसलिए वेदों के किसी एक शब्द पर भी प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जा सकता ।
- संसार (ब्रह्मांड) की रचना, ब्रह्मा ने की है।
- ब्रह्मा के मुख से ब्राह्मण, भुजाओं से क्षत्रिय, पेट से वैश्य, और पैरों से शूद्रों की उत्पत्ति origin हुई है। इसीलिए ब्राह्मण वर्ग सबसे ऊंचा और श्रेष्ठ है क्षत्रिय ब्राह्मण से नीचे किंतु वैश्यों से ऊपर, वैश्य क्षत्रियों से नीचे और शूद्रों से ऊपर हैं। चारों वर्णों में शूद्र Shudra सबसे नीचे माने जाते हैं।
- वेदों के अनुसार ब्राह्मण (Brahman) का काम पढ़ना पढ़ाना और धार्मिक संस्कार करना, क्षत्रियों का काम राज्य करना तथा रक्षा करना, वैश्यों का काम व्यापार करना तथा शूद्रों का एक मात्र काम तीनों वर्णों की सेवा करना।
- वेदों के अनुसार शूद्रों तथा ब्राह्मण सहित सभी वर्ग की महिलाओं (Lady's) को पढ़ने लिखने का तथा उपनयन संस्कार करने का अधिकार नहीं है।
- वेदों के अनुसार व्यक्ति का जन्म पिछले जन्म Previous Birth के कर्मों के अनुसार उच्च तथा निम्न कुल में होता है ।
- आत्मा की मुक्ति या मोक्ष की प्राप्ति वैदिक यज्ञ करने में पशुओं की बलि देने तथा दूसरी धार्मिक क्रियाओं के करने तथा ब्राह्मणों को दान देने से होती है।
वेदों की आलोचना करने वालों को भले ही नास्तिक Atheist कहा गया है, लेकिन देश में बहुत प्राचीन काल से वेदों की आलोचना करने वाले तथा वेदों को प्रमाण न मानने वाले संत महात्माओं का जन्म होता रहा है जो हिंदू धर्म (ब्राह्मण धर्म) से विद्रोह Revolt कर हिंदू धर्म (ब्राह्मण धर्म) से अलग स्वतंत्र पंथ( धर्म )बनाते रहे है।
7वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक भारत में वैदिक धर्म Vedic Religion का बोलबाला था, वर्ण व्यवस्था का बहुत ही कड़ाई से पालन किया जाता था । राजा और शासक लोग वैदिक रीति से ब्राह्मणों और राज गुरुओं के निर्देशानुसार राज्य किया करते थे । यज्ञ में पशुओं की बलि ( Animal sacrifice) दी जाती थी अंधविश्वास और कर्मकांडों का बोलबाला था छुआछूत का पालन किया जाता था अछूतों Untouchables की छाया से भी दूर रहा जाता था ।
ऐसे समय में 599 ईसापूर्व में जैन धर्म के संस्थापक वर्धमान महावीर Mahavir का जन्म हुआ, महावीर स्वामी वेदों को प्रमाणिक ग्रंथ मानने से इनकार करते थे,महावीर स्वामी के वेदों से हटकर अपने स्वतंत्र विचार थे यज्ञों में पशुओं की बलि देने के वें सख्त खिलाफ थे, महावीर स्वामी चाहते थे कि सभी जीवों को जीने का अधिकार हो, इसीलिए सभी लोगों को हिंसा से दूर रहना चाहिए उनके उपदेशों Precepts का लोगों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। और उस गहरे प्रभाव के कारण लोगों का वैदिक धर्म से मोह-भंग हो गया तथा कई राजा और शासक वर्धमान महावीर स्वामी के वे शिष्य बन गए, महावीर स्वामी के उपदेशों और शिक्षाओं को प्रमाण Proof मानने वाले व्यक्ति जैन कहलाने लगे बाद में जैन पंथ Jain cult ब्राह्मण धर्म से अलग स्वतंत्र पंथ धर्म के रूप में स्थापित हो गया ।
Best aapke jo lekh hai vo hum jaise yuvao ko jagruk aur bahujan samaj ki history ko janne ka source banega and ye na keval hamare liye balki aur ek buddhiman ko padna chaiye aur us par sochna bhi chaiye aur tark bhi karna chaiye . jai bhim jai bharat
ReplyDeleteThank you
ReplyDeleteBahut Achchha lekh hai
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