Wednesday 5 September 2018

दलित शब्द तथा हिंदुस्तान शब्द का भारत मे प्रयोग

Dalit and Hindustan
Dalit and Hindustan

दलित शब्द तथा हिंदुस्तान शब्द का भारत मे प्रयोग

जब भी चुनाव आता है ,सरकार ऐसा मुद्दा ढूंढ कर लाती है, जिससे लोगों में विघटन हो जाए अब सरकार एक और नया मुद्दा लेकर आई है ,जिससे एक बड़ी बहस छिड़ गई है ,अब सरकार के मंत्रालय Information and broadcasting ministry ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि दलित असंवैधानिक शब्द है, चलो मान लिया लेकिन संविधान की प्रस्तावना में भारत अर्थात इंडिया का नाम दिया हुआ है।
संविधान
संविधान में भारत तथा इंडिया का प्रयोग

संविधान के भाग 1 में लिखा है
“India that is Bharat shall be a union of States”
लेकिन भारत में एक शब्द का उपयोग होता है जिसका नाम हिंदुस्तान है , तथा 26 जनवरी या 15 अगस्त पर भारत के प्राचीन किले पर प्रधानमंत्री अपने भाषणों में 10 बार हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग होता है तथा संसद में इस शब्द का इस्तेमाल करते रहे हैं,और भारत के तमाम बड़े बड़े नेता इस हिंदुस्तान शब्द का  प्रयोग करते आए हैं , यहां तक की भारत में पत्रकारिता, TV चैनल, सरकार की संस्थाएं, कंपनियां में भी हिंदुस्तान शब्द का अधिक मात्रा में प्रयोग होता रहा है । जैसे , Hindustan Times, Hindustan analysis Limited, Hindustan Petroleum, Hindustan copper Limited, Hindustan salt Limited, Hindustan electronic motor जैसे तमाम प्रकार की कंपनियां संस्थानों में हिंदुस्तान शब्द का बहुत बड़ी मात्रा में प्रयोग होता रहा है , जबकि भारत के संविधान में साफ-साफ लिखा है भारत या इंडिया का उल्लेख है , लेकिन फिर भी पूरा भारत सरकार हो या इंडियन आर्मी कंपनियां हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग करते आए हैं जबकि यह असंवैधानिक शब्द है ।

अब दलित शब्द की चर्चा करते हैं

दलित शब्द की बात करने से पहले दलित शब्द के बारे में थोड़ा जानते हैं, दलित शब्द का प्रयोग सबसे पहले महात्मा फुले जी ने किया तथा संविधान निर्माता डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर ने दलित शब्द का अपने लेखों ,भाषणों, पुस्तकों में प्रयोग किया है, तथा इसके बाद बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम जी ने दलित शब्द का प्रयोग किया तथा उन्होंने दलित शोषित समाज संघर्ष समिति नाम के संगठन में दलित शब्द का प्रयोग किया है । दलित शब्द का प्रयोग अपमानजनक हरिजन शब्द के बजाय प्रयोग हुआ ।
दलित शब्द का अर्थ है “दबा हुआ जिसे अनैतिक रूप से दबाया गया है” लगभग 19वीं सदी से 21वी सदी अब तक दलित शब्द का प्रयोग होता रहा है , दलित शब्द का मतलब अनैतिक रूप से दवा होने के कारण इसका प्रयोग होता रहा है, और पहले लोग सर झुका कर दलित बोलते थे, लेकिन अब दलित शब्द एक क्रांतिकारी शब्द बनता जा रहा है, तथा दलित शब्द को अब वीरतापूर्वक और गर्व से आंख में आंख डालकर दलित बोलने लगे है कि हां मैं दलित हूं  खासकर 80 के दशक में हुए आंदोलनों के बाद दलित शब्द वीरतापूर्वक शब्द बनता रहा है, और हाल ही दिनों में भीम कोरेगांव में दलितों का एक होना तथा गुजरात में हुए दलित अत्याचार के कारण दलितों का गुजरात में बड़े पैमाने पर विरोध, तथा अभी 2 अप्रैल को ऐतिहासिक रूप से भारत बंद  किए जाने के कारण दलित शब्द एकता और वीरता का प्रतीक बन गया है, जिससे मनुवादी सरकार की जड़े हिलती हुई दिखाई दे रहे हैं , जिसके कारण सरकार दलित शब्द बंद कराए जाने की साजिश रच रही है, जब तक दलित शब्द का प्रयोग दबे कुचले हुए समझते रहे तब तक इनको कोई परेशानी नहीं हुई, लेकिन जब इसे एकता का प्रतीक और और गर्व से दलित बोलने लगे तथा उत्तरप्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री मायावती जी अपने आप को दलित की बेटी बोलती हैं तो इनको यह परेशानी होती है । दलित बहुजन समाज का महत्वपूर्ण अंग है इसे आसानी से अलग नहीं कर सकता है।


सरकार यदि दलित शब्द को संविधान का हवाला देकर अनुसूचित जाति का प्रयोग करने का बोल रही है , तो हिंदुस्तान शब्द का भी सरकार को बंद करके संविधान के अनुसार जो भारत तथा इंडिया शब्द का प्रयोग करना चाहिए ।
बहुत से लोग यह बोलते हैं कि संविधान में दलित शब्द का प्रयोग नहीं हुआ तो असंवैधानिक है, लेकिन असंवैधानिक का मतलब होता है कि जो संविधान के प्रावधानों के विपरीत हो उसे असंवैधानिक कहते हैं, आपको हम बता देना चाहते हैं कि दलित शब्द असंवैधानिक शब्द नहीं है,असंवैधानिक शब्द हिंदुस्तान हैं क्योंकि भारत का मतलब हिंदुस्तान नहीं है इसलिए हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग बंद होना चाहिए दलित शब्द का प्रयोग नहीं बंद करना चाहिए ।

  1. जो लोग हिन्दुस्तान शब्द का प्रयोग करते है वो महोम्मद अली जिन्ना की मानसिकता के अनूसार हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग करते है क्योंकि जिन्ना चाहता था कि भारत बंटवारे के बाद पाकिस्तान तथा हिंदुस्तान बनें 
Must Read:- आखिर कौन है डॉ.अम्बेडकर ?
आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है आप हमें comment
box में अवश्य बतायें ।
जय भीम


Share This
Previous Post
Next Post
Rahul Bouddh

Jai Bheem My name is Rahul. I live in Sagar Madhya Pradesh. I am currently studying in Bahujan Awaj Sagar is a social blog. I publish articles related to Bahujan Samaj on this. My purpose is to work on the shoulders from the shoulders with the people who are working differently from the Bahujan Samaj to the rule of the people and to move forward the Bahujan movement.

0 comments:

आपको यह पोस्ट कैसी लगी कृपया यहाँ comment Box में बताये
धन्यवाद