भारत में महिलाओं की स्थिति प्राचीन काल से बहुत ज्यादा ख़राब थी और महिलाओं का अपमान बुद्ध धम्म को छोड़कर सभी धर्मों में हुआ है वो चाहे हिन्दू धर्म हो या मुस्लिम धर्म हो इनका अपमान सभी धर्मों में हुआ ,जिसका मुख्य कारण, हिन्दू धर्म रहा है ,हिन्दू धर्म ग्रन्थों में स्त्री को (कोई भी जाति की हो) तथा शूद्रों को कोई भी अधिकार नहीं दिये थे ,जिसके कारण वे सदियों से भारत में स्त्रीं और पिछड़ी जाति के लोग सामाजिक, आर्थिक ,शैक्षणिक रूप से बहुत पिछड़े हुये थे ।
जो हम आज जिसे हिन्दू धर्म कहते या बोलते है उसमे रामायण , महाभारत स्मृति ,मनुस्मृति और वेद पुराणों में महिलाओं का ( सभी वर्गों की) अधिकारों का हनन व अपमान हुआ, महिलाओं को अधिकारों से हमेशा वंचित रखा गया था तथा महिलाओं को हमेशा निचले स्थान रखा गया था ।
आइये देखते है महिलाओं के बारे में क्या लिखते हिन्दु धर्म के ग्रन्थ:-
- पुत्री पत्नी माता या कन्या युवा वृद्धा किसी भी स्वरुप में नारी को स्वतंत्र नहीं होनी चाहिए ।
अध्याय 1 श्लोक 2से 6 तक
- असत्य जिस तरह अपवित्र है उसी भांति स्त्रियां भी अपवित्र हैं यानी पढ़ने पढ़ाने का वेद मंत्र बोलने का या उपनयन का स्त्रियों को अधिकार नहीं है
मनुस्मृति अध्याय 2 श्लोक 66 और अध्याय 1 श्लोक 17
- स्त्रियां नरक गामी होने के कारण वह यज्ञ कार्य दैनिक अग्निहोत्र भी नहीं कर सकती मनुस्मृति लिखती है नारी नर्क का द्वार है ।
अध्याय 11 श्लोक क्रमांक 36 से 37
रामायण में तुलसीदास लगते है :-
ढोल गवार शुद्र पशु नारी ।
सकल ताड़ना के अधिकारी।।
अर्थात:- जिस तरह ढोर को पीटा जाता है उसी प्रकार शूद्र को तथा स्त्रियों को पीटना चाहिए।
इस तरह अपमान जनक वेद पुराण मनुस्मृति रामायण में लिखकर अपमानित किया जाता है तथा इसका विरोध कभी नहीं कोई देवी देवताओं, भगवानों ने इस अपमान और अधिकारों के खिलाफ किसी ने आवाज नहीं उठाई, हिंदू धर्म की जो देवियां है चाहे ज्ञान की देवी सरस्वती या धन की देवी लक्ष्मी या चाहे दुर्गा काली ने कभी आवाज नहीं उठाई , जिसे हम सरस्वती बोलते, नारी होकर भी नारी की पीड़ा नहीं समझी और न ही इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई ।
सच क्या है:-
सच्चाई यह , कि जो मनुस्मृति वेद पुराण रामायण महाभारत यह सब काल्पनिक और महिलाओं शूद्रों को गुलाम बनाने के लिए रचा गया था हिंदू धर्म का दूसरा नाम ही अन्याय है तथा यह सब काल्पनिक कथा कहानी ग्रंथों में महिलाओं ,शूद्रों को कोई भी अधिकार नहीं दिए हैं इनको केवल गुलाम बनाकर रखा गया,यह सब SC ST और OBC और सभी वर्ग की महिलाओं को गुलाम बनाकर रखने के लिए ये सारा षड्यंत्र रचा गया था ।
महात्मा फुले सावित्रीबाई फुले का स्त्रियों के लिए बड़ा संघर्ष:-
Mahatma Phule and His Wife Savitri Phule |
आधुनिक भारत देश में सबसे पहले अगर किसी ने आवाज उठाई वह महात्मा फुले और उनकी पत्नी माता सावित्रीबाई फुले ने उठाई , महात्मा फुले ने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को सबसे पहले शिक्षा देकर एक नया इतिहास रच दिया और उन्होंने एक क्रांतिकारी कदम उठाया |
जो काम किसी देवी हो देवता हो भगवान हो ने नहीं किया वह काम महात्मा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने इस देश की महिलाओं के हक अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी ।
1 जनवरी 1848 में महात्मा ज्योतिबा फुले ने उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ सबसे पहली पाठशाला खोली उन्होंने स्वयं अपनी संतान उत्पन्न नहीं की बल्कि इस भारत देश कि गरीब और पिछड़े जाति के लोगों को महिलाओं को अपने संतान समझ लिया और उन्होंने कुर्बानी दे दी ।
डॉ बाबासाहेब अंबेडकर ने लड़ी महिलाओं की हक अधिकारों की लड़ी लड़ाई:-
DR.B.R.Ambedkar with Women |
इसके बाद एक ऐसे मसीहा ने जन्म लिया जिसने 5000 साल का इतिहास 40 साल में बदल कर रख दिया था वो दलित शोषित समाज पीड़ितों के मशीहा थे विश्वरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर उन्होंने अपने महापुरुषों से प्रेरणा लेकर उन्होंने दलितों पिछड़ों और महिलाओं इस देश के लिए कार्य किया।
डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर ने 25 दिसंबर 1927 को सरेआम मनुस्मृति नामक काले कानून का दहन किया बाबा साहब ने महिलाओं व पिछड़ी जातियों के लिए संघर्ष करते रहे जो हिन्दू धर्म ने नकारे थे । बाबा साहब ने महिला सशक्तिकरण के लिए अधिक से अधिक प्रयास किए और हक अधिकार दिलाए जो हजारों सालों से धर्म ग्रंथों ने नकारे थे ।
बाबा साहब ने संविधान लिखकर 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया तथा सभी को समता स्वतंत्रता का अधिकार दे दिया ।
वे देश के सबसे पहले कानून मंत्री बने और उन्होंने हिंदू कोड बिल संसद 1951 में बिल पेश किया और नारी को सशक्त करने की कोशिश की हिंदू कोड बिल में महिलाओं को संपत्ति रखने का अधिकार, पुरुषों को एक से अधिक शादी करने पर रोक, अंतर्जातीय विवाह पर सहमति जैसे महत्वपूर्ण हिंदू कोड बिल में थे ,लेकिन उस समय हिंदू कोड बिल का तीव्र विरोध किया ,उस समय में हिंदू कोड बिल पारित नहीं हो सका जिससे बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर ने दुखी होकर कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया उन्होंने महिलाओं के लिए कुर्बानी दे दी , बाद में डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के परिनिर्वाण होने के बाद हिंदू कोड बिल संसद में टुकड़ों में पारित किया गया, डॉ अंबेडकर ने महिलाओं ,पुरुषों को एक धरा पर खड़ा कर दिया ।
उन्होंने वह सब अधिकार दे दिए जो हजारों सालों से वंचित हुए थे , भारत में उस समय भारतीय नारी कानूनी रूप से आजाद हो गई ।
उन्होंने वह सब अधिकार दे दिए जो हजारों सालों से वंचित हुए थे , भारत में उस समय भारतीय नारी कानूनी रूप से आजाद हो गई ।
आज आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति में सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रुप से बहुत अधिक सुधार होता जा रहा है लेकिन आज की ज्यादातर महिलाएं अपने महापुरुषों की कुर्बानी इतिहास भूलती जा रही है आज के समय की जो पड़ी-लिखी महिलाएं हैं वे उस धर्म को मानती जिस धर्म ने उनका अपमान किया, आज उन्हीं 4 हाथ वाले 6 हाथ वाले भगवान की पूजा करने में व्यस्त हैं उन्हें अपने महापुरुषों का त्याग बलिदान का पता भी नहीं है, इसकी कुछ गलती हमारे समाज के पुरुषों की भी है जो जानते हैं समझते हैं लेकिन अपने पूर्वजों का सच्चा इतिहास बताते नहीं हैं ।
बाबा साहब ने कहा था:-
“ यदि किसी समाज की प्रगति को जानना है तो उस समाज की महिलाओं की प्रगति जानना चाहिए “
हमें यह बदलाव अपने घर से लाना पड़ेगा इसकी शुरुआत अपने घर की महिलाओं को अपने पूर्वजों का त्याग बलिदान बताकर करना पड़ेगा अभी सच्चे अर्थों में सफल होगा ।
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जय भीम जय कांशीराम जय भारत
Jay bheem good work
ReplyDeleteVary Good article of bahujan Awaaz Sagar
ReplyDeleteजय भीम
ReplyDeleteThe Ultimate Guide of the Term RAPE
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