Tuesday, 10 April 2018

सामाजिक क्रांति के महानायक महात्मा ज्योतिबा फुले

आज 11 अप्रैल के दिन सामाजिक क्रांति के महानायक महात्मा ज्योतिबा फुले Mahatma Phule जयंती के अवसर पर उनका जीवन परिचय मेरा स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण संक्षिप्त लिखने को मजबूर हुआ हूँ सभी साथियों से आशा करता हूँ सभी को अच्छा लगे इसमें आपके जो भी सुझाव हो comment Box में जरूर बतायें
Mahatma Phule
Mahatma Phule

प्रारंभिक जीवन :-

महात्मा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को सतारा पुणे महाराष्ट्र में हुआ था उनके पिता का नाम गोविंदराव फुले Govind rao  था 1 वर्ष की आयु में उनकी माता का निधन हो गया ज्योतिबा का पालन पोषण उनकी दाई सुगना बाई ने किया महात्मा फुले माली समाज के थे ।
7 वर्ष की उम्र में स्कूल की सीढ़ी चढ़ी लेकिन उस समय जातिवाद तथा शूद्र वर्ग के होने के कारण ब्राह्मणवादियों ने स्कूल से निकलवा दिया लेकिन गफ्फार वेग मुंशी Gaffar veg munshi था लिजित साहब की सहायता से उन्हें पुनः स्कूल जाने का मौका मिला ।
सन 1840 में महात्मा फुले की शादी सावित्रीबाई फुले के साथ हुई तथा महात्मा फुले के साथ सामाजिक आंदोलन में संघर्ष किया .

जातिवाद के कारण हुए अपमानित :-

एक बार ज्योतिबा फुले को उनके ब्राह्मण मित्र के निमंत्रण पर उनकी शादी में गए लेकिन एक शुद्र Shudra  को ब्राह्मण की बारात में शामिल होना ब्राह्मणों को अच्छा नहीं लगा तो महात्मा फुले जी को उस बरात में से अपमानित Humiliated करके बाहर निकाल दिया ,ज्योतिबा फुले को बारात में अपमानित होना उन्हें बहुत खराब लगा इस घटना ने उन्हें हिला का रख दिया और सोचने पर मजबूर हो गए , जब मुझ जैसे पढ़े लिखे सछूत शुद्र माली समाज की यह हालत है तो जिस देश में अछूत वर्ग ,महिलाएं है उनकी क्या हालत होगी तब उन्होंने इस जातिवादी प्रथा Racism को समाप्त करने का संकल्प लिया और उन्होंने इसका कारण अशिक्षा अज्ञानता बताया ।

शिक्षा(Education)के दरवाजे खोले :-

महात्मा फुले जी ने सन 1848 को सबसे पहली इस देश में लड़कियों और अछूतों के लिए पाठशाला School खोली तथा स्कूल में पढ़ाने के लिए उनकी पत्नी माता सावित्रीबाई फुले को पढ़ाने के लिए तैयार किया माता सावित्रीबाई फुले आधुनिक भारत की सबसे पहली शिक्षिका Teacher बनी .
इससे पहले 5000 सालों में किसी ने स्कूल नहीं खोली न ही पढ़ने लिखने का मौका मिला क्योंकि मनुस्मृति के अनुसार पढ़ने पढ़ाने का अधिकार केवल ब्राह्मणों को था .


घर से बाहर निकाला :-

महात्मा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले का अछूतों , शूद्रों और महिलाओं के लिए शिक्षा Education देना पढ़ाना लिखाना ब्राह्मणों को पसंद नहीं आया उसने महात्मा फुले के पिता गोविंदराव को ब्राह्मणों ने भड़का दिया जिस कारण उनके पिता ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया तथा स्कूल उस जगह पर बंद करना पड़ा .
लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और उनके मित्र उस्तान शेख नाम के मुसलमान ने अपने घर पे स्कूल चलाने के लिए जगह दी ।


सामाजिक सुधार Social Reform :-

महात्मा फुले ने शिक्षा सुधार के साथ-साथ सामाजिक सुधार में भी महत्वपूर्ण Important योगदान दिया ,किसानों की समस्या मुद्दों की बात को जोर-शोर से उठाया, उन्होंने  उस समय किसानों की समस्या के जो मुद्दे उठाए वो आज और भी ज्यादा तीव्र हो गए हैं जबकि वह ब्रिटिश British भारत था आज आधुनिक भारत है .
वे  प्रश्न करते हैं
“शारीरिक एक रचना में किसी भी तरह का अंतर न होने पर भी   दिन भर पसीना बहाने वाला सृष्टि का पालनहार किसान दुखी और भ्रष्ट नौकरशाह सुखी ऐसा क्यों “
उन्होंने सन 1864 में पहला विधवा विवाह कराया तथा बालहत्या प्रतिबंध, विधवा का मंडन प्रथा का महात्मा फुले तथा सावित्रीबाई फुले ने इसका विरोध किया, उन्होंने अपने घर का कुआं अछूतों के लिए खोल दिया तथा 1873 में पुरोहितों के बिना विवाह विधि आरंभ कर दी , तथा इसी दौरान 1873 में सत्यशोधक समाज की स्थापना की , तथा प्रचारित करने के लिए किताबें लिखना आरंभ कर दी
सन 1876 से 1882  समय में पुणे नगर पालिका के सदस्य वे चुने गये तथा इस शिक्षा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए 12 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा करने का प्रस्ताव रखा और उनका यह प्रयास था कि यह अनिवार्य हो ।
महात्मा फुले ने उस समय में 1873 में गुलामगिरी नामक प्रसिद्ध पुस्तक भी लिखी ।


महात्मा की उपाधि :-

महात्मा फुले जी ने अछूतों शूद्रों और महिलाओं
तथा निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए जीवन भर त्याग बलिदान तथा संघर्ष किया उनकी इस समाज सेवा को देखकर सन 1888 में मुंबई की एक विशाल सभा में उन्हें महात्मा की उपाधि Degree दी गई ।

निधन :-

महात्मा फुले जी का निधन 28 नवंबर 1890 को उनका निधन हो गया वे एक ऐसे महापुरुष हैं जिन्होंने इस कारवां की शुरुआत की , संविधान निर्माता भारत रत्न डॉ बाबासाहेब अंबेडकर ने महात्मा फुले को अपना  गुरु Teacher मानते थे ।
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Rahul Bouddh

Jai Bheem My name is Rahul. I live in Sagar Madhya Pradesh. I am currently studying in Bahujan Awaj Sagar is a social blog. I publish articles related to Bahujan Samaj on this. My purpose is to work on the shoulders from the shoulders with the people who are working differently from the Bahujan Samaj to the rule of the people and to move forward the Bahujan movement.

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