Saturday, 7 April 2018

भारत में वैज्ञानिक तथा अवैज्ञानिक सोच........

 भारत में वैज्ञानिक तथा अवैज्ञानिक सोच

वैज्ञानिक अवैज्ञानिक सोच
भारत में वैज्ञानिक तथा अवैज्ञानिक सोच
  9मार्च के दिन दैनिक भास्कर समाचार पत्र में पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर जी का लिखा एक लेख पड़ा । लेख का शीर्षक  था “विज्ञान विरोधी रवैया भारत को महाशक्ति नहीं बना सकता” लेख में उदाहरणों के साथ बताया गया है, कि प्रधानमंत्री सहित भाजपा के नेता और भाजपा से सहानुभूति रखने वाले व्यक्ति अपने भाषणों में विज्ञान के सिद्धांतों पर हमला करते हैं ,और अवैज्ञानिकता का प्रचार करते हैं। लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अक्टूबर 2014 में मुंबई के अस्पताल के उद्घाटन समारोह में दिए गए भाषण का उल्लेख है,जिसमें दावा किया था कि हाथी के सिर वाले देवता गणेश इस बात का सबूत है कि प्राचीन भारत में प्लास्टिक सर्जरी का ज्ञान था।लेख में राजस्थान के शिक्षा मंत्री Education minister व भाजपा के दिग्गज नेता वासुदेव देवनानी के दावे का उल्लेख भी है जिसमें उन्होंने कहा था  गाय ही केवल एक मात्र ऐसा प्राणी है जो ऑक्सीजन लेती है, और ऑक्सीजन ही छोड़ती है। लेख में राजस्थान के हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस महेश चंद शर्मा के इंटरव्यू के बारे में भी लिखा है ,जिसमें उन्होंने कहा था, कि भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर Peacock जीवन भर ब्रह्मचारी रहता है और अपने आंसुओं को मोरनी पी लेती और मोरनी को गर्भवती बनाता है।
लेख को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है कि धर्मनिरपेक्ष भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए भाजपा नेता और भाजपा से सहानुभूति रखने वाले जानबूझकर विज्ञान की भूमिका को कमजोर करना चाहते हैं ।लेकिन मेरा मानना यह है कि ऐसे नेता और व्यक्ति जानबूझकर विज्ञान के सिद्धांतों पर हमला नहीं करते जानबूझकर अवैज्ञानिकता Unscientific का प्रचार नहीं करते । बल्कि जिन अवैज्ञानिक सिद्धांत Principle का वे प्रचार करते हैं उन सिद्धांत और बातों को वे सही और सत्य समझते है। वैज्ञानिक सिद्धान्त मानते है ।
हमारे देश में बच्चे दो तरह से शिक्षा पाते हैं पहला तरीका वह है जिससे बच्चे स्कूल के बाहर सीखते हैं ,दूसरे तरीके के अनुसार बच्चे स्कूल Schools में पढ़ते और सीखते हैं। स्कूल जाने से पहले  बच्चों को पता चल जाता है कि दिन रात क्यों होते है। बच्चे जब सुबह नहाते हैं तो अक्सर दादा-दादी कहते हैं कि बेटा स्नान कर लिया अब सूर्य भगवान   Sun God को नमस्कार कर लो। जिज्ञासा-वश जब बच्चे सूर्य भगवान के बारे में पूछते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि सूर्य भगवान है और वे संसार को रोशन करने के लिए रथ पर बैठकर आते है। सूर्य भगवान के रथ को 7 घोड़े  खींचते है।
बच्चे जब बरसात के मौसम में इंद्रधनुष के बारे में पूछते हैं। तो उन्हें बताया जाता है कि स्वर्ग में इंद्र भगवान रहते हैं ।जो वर्षा के देवता हैं उन्हीं की कृपा से धरती Land पर पानी बरसता है ,जो तुम आकाश में इंद्रधनुष देख रहे हो यह धनुष उन्हीं भगवान का है ।
चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के समय जब बच्चे घर के बुजुर्गों  से चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के बारे में जानना चाहते हैं,तो उन्हें बताया जाता है कि राहु नाम का राक्षस सूर्य भगवान और चंद्रमा Moon को निगल जाता है तब ग्रहण लगता है ग्रहण के समय उपवास रखो ,खूब दान-पुण्य करो। तभी इस राक्षस  के चंगुल से सूर्य और चंद्र देवता को जल्दी से जल्दी मुक्ति मिल पाएगी। बच्चों के दिमाग में अनजाने में ऐसे हजारों अवैज्ञानिक सिद्धांत  Principles बैठा दिए जाते हैं।
जब बच्चे स्कूल में पढ़ने जाते हैं तो उन्हें विज्ञान की शिक्षा  Education दी जाती है लेकिन प्रथम गुरु द्वारा ही बच्चों के दिमाग में इतना झूठ बैठा दिया जाता है ,कि उन्हें विज्ञान Science की सच्चाई समझ में नहीं आती । परीक्षा में पास होने के लिए बच्चे किताबों में लिखी बातों को रट लेते हैं। और परीक्षा Exam में अच्छे नंबरों से पास भी हो जाते हैं लेकिन दिमाग Mind में बैठे झूठ के कारण स्कूली किताबों में लिखी बातों पर विश्वास नहीं कर पाते ।

मैं ऐसे कई पढ़े लिखे और शिक्षित व्यक्तियों से मिला हूँ जो पड़े लिखे होने के बाद भी अवैज्ञानिक सोच Thinking के और अंधविश्वासी हैं। मैं एक वकील से मिला जो कह रहे थे ,कि हमारी बच्ची  के जन्म Birth से ही बड़े-बड़े और घुंघराले बाल  थे। मैं घुंघराले और सुन्दर बालों का मुंडन नहीं करवाना चाहता था, लेकिन करवाना पड़ा क्योंकि जब तक मुंडन नहीं होता है तब तक जन्म के समय के अपवित्र बालों के साथ मंदिर Temple नहीं जा सकते थे। मैंने वकील साहब से प्रश्न किया कि इतने पढ़े लिखे होने के बाद भी अपवित्रता Unholines और छूतक को मानते हैं तो वह कहने लगे रामायण महाभारत वेद पुराणों में लिखी बातें गलत नहीं  होती हैं।

मैं भाजपा विरोधी ऐसे लोगों से भी मिला हूँ जो पढ़े लिखे हैं अच्छे पदों पर भी है लेकिन अवैज्ञानिक  सोच Thinking के और अंधविश्वासी है ।
राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने मोर Peacock  बारे में जो भी कुछ कहा है। वह बात मैंने हजारों लोगों के मुख से सुनी है । जाहिर है ,उन हजारों लोगों में से सभी लोग देश को हिंदू राष्ट्र नहीं बनाना होंगे। मोरनी मोर के आंसू पीकर गर्भवती Pregnant होती है यह बात भले ही असत्य और अवैज्ञानिक Unscientific है । लेकिन इस देश के लाखों लोग इस बात को सही और सच्ची मानते हैं , और तब तक सही मानते रहेंगे ,जब तक उन्हें इस बात का ठोस प्रमाण नहीं मिल जाता ,कि अन्य जीव जंतुओं Animals की तरह मोर ,मोरनी के मिलन से मोरनी गर्भवती Pregnant होती है ।
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Rahul Bouddh

Jai Bheem My name is Rahul. I live in Sagar Madhya Pradesh. I am currently studying in Bahujan Awaj Sagar is a social blog. I publish articles related to Bahujan Samaj on this. My purpose is to work on the shoulders from the shoulders with the people who are working differently from the Bahujan Samaj to the rule of the people and to move forward the Bahujan movement.

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