सभी के लिए जय भीम
सबसे पहले मैं सभी से माफ़ी माँगना चाहता हूँ exam होने के कारण में articles नहीं लिख सका लेकिन अब में उजलें की ओर Part 2 प्रकाशित करने जा रहा हूँ जिसका topic हैं “ जानिए दलित अछूत क्यों और कैसे बनें ” यह Article अच्छे से समझने के लिए Part 1 क्या दलित हिन्दू शुद्र है? पड़े तब यह article ठीक से समझ आएगा
दलित अछूत कब बनें |
गाय को पवित्र पशु समझा जाता था यज्ञों में गाय की बलि दी जाती थी ऋग्वेद (दस 91.14) में कहां गया है ,कि अग्नि देवता के लिए घोड़ों ,साड़ों , गायों और भेड़ों की बलि दी जाती थी . गाय को खड़ग या कुल्हाड़े से वध Slaughter किया जाता था। ब्राह्मण सहित सभी वर्ग के लोग गाय का मांस खाते थे जैसा कि बौद्ध ग्रंथों में लिखा है कूटदंत ब्राह्मण जब तथागत गौतम बुद्ध की शरण में जाता है तो तथागत से कहता है!
मैं पूजनीय गौतम बुद्ध की शरण में जाता हूं हे!गौतम मैं 700 बैलों बछड़ों को छोड़ता स्वतंत्र करता हूं, मैं उन्हें जीवन दान देता हूं , वे घास खाए ,ठंडा पानी पिए ,और ठंडी हवा उनके चारों ओर चले ।
बौद्ध ग्रंथ संयुक्त निकाय में कौशल नरेश प्रसन्नजीत द्वारा कराए गए यज्ञ का वितरण है,जिसमें सांडों ,बछड़ों बकरों की बलि दी जाती थी ।
छितरे हुये लोगों को मृत गायों का मांस खाना पड़ता था, जो मजबूरी में मृत गायों और पशुओं को गांव और शहर के बाहर फेंकने का काम Work करते थे ।
लेकिन गुप्त काल में 400 ईसवी के आसपास गुप्त राजाओं ने गाय के वध पर प्रतिबंध लगा दिया,गाय का वध करना महापातक घोषित कर दिया, इसलिए यज्ञों में गाय की बलि देना बंद हो गया,लोगों ने गाय का मांस खाना बंद कर दिया,लेकिन छितरे हुये लोगों ने मृत पशुओं का मांस खाना बंद नहीं किया, क्योंकि गांव की सफाई के लिए मृत पशुओं को गांव से बाहर (outside) फेंकते थे, दूसरे उनके पास खाने को कुछ नहीं था, इसलिए ऐसे छितरे हुये लोगों को वर्ण व्यवस्था और ब्राह्मण धर्म से बहिष्कृत का अवर्ण अछूत घोषित कर दिया गया ,वेद व्यास स्मृति में अंत्यज और अछूत जातियों का वर्णन किया गया है ।
चर्मकार(मोची),भट्ट,(सिपाही),भील्ल,रजक (धोबी),पुष्कर,नट,मेड,चांडाल,दास, स्वापाक, कोलिक ये अंत्यज(Endless) के रूप में जाने जाते हैं और दूसरे वे भी जो गाय का मांस खाते हैं।
अपवित्र बना देने के बाद ब्राह्मणों ने इनके मानव होने के अधिकार छीन लिए थे, इनके साथ पशुओं से भी खराब व्यवहार करने लगे थे ,कुत्ते बिल्ली मंदिरों और तालाबों में जा सकते थे,लेकिन अवर्ण को मंदिरों Temples में जाने का अधिकार नहीं था, ब्राह्मणों ने इनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया था । शादी, विवाह ,जन्म मृत्यु, किसी भी धार्मिक काम में ब्राह्मण इनके यहां पुरोहिताई या पूजा पाठ के लिए नहीं जाते थे , इसलिए दूसरे लोग भी इनका सामाजिक बहिष्कार करने लगे थे ।
ब्राह्मण धर्म से बहिष्कृत Excluded कर दिए जाने के बाद दलित समाज अपने आप में एक स्वतंत्र समाज बन गया था, दलितों के अपने कुल देवताओं के मंदिर या चबूतरे हुआ करते थे,और आज भी होते हैं,जहां दलित वर्ग के लोग पूजा-पाठ Worship इत्यादि करने इन्हीं मंदिरों या चबूतरों पर जाते थे । दीपावली रक्षाबंधन त्योहारों पर दलितों के घर में उन्हें कुल देवताओं की पूजा होती थी,और आज भी अधिकतर दलितों के घरों में त्यौहारों Festival पर इन्हीं कुल देवताओं की पूजा होती है। दलित समाज में अपने पुरोहित (में -भरिया) हुआ करते थे । जो पूजा पाठ का काम करते थे ,शादी विवाह वगरैह में दलितों के पुरोहित खुद शादी करवाते थे ।
दलितों में अधिकतर परिवारों में आज भी वैदिक रीति रिवाज से शादी नहीं कराई जाती, दलित परिवार में आज भी बगैर वेद मंत्रों के और बगैर ब्राह्मणों के लोकरीति (Folkity) से शादी कराई जाती है आज भी अधिकतर दलित वर्ग के लोग ब्राह्मण धर्म नहीं मानते ।
ब्राह्मण धर्म में ऐसे नियम बनाए गये , जिनसे शूद्र वर्ग पिछड़ा वर्ग सभी वर्ग की महिलाएं तथा बहिष्कृत वर्ग को अज्ञानी और अशिक्षित(uneducated) बनाकर रखा जा सके,ताकि इनका राजनीतिक,आर्थिक,सामाजिक और ,शारीरिक शोषण किया जा सके ।
मनुस्मृति के भाग 2 के श्लोक क्रमांक 67 में लिखा है:-
वैवाहिको विधि: स्त्रीणां संस्कारों वैदिक: स्मृत।
पति सेवा गुरौ वसौ ग्रहार्थी अग्नि परिक्रमा ।।
अर्थात:- जैसे शूद्रों के लिए गुरु दीक्षा संस्कार करना मना है , उसी प्रकार स्त्रियों के लिए पढ़ना पढ़ाना (Teaching to read) गुरु दीक्षा लेना मना है ,पति की सेवा करना ही स्त्रियों की सुबह शाम की पूजा और अग्नि होम हैं ।
बहुत बाद में महात्मा फुले और अन्य महापुरुषों के संघर्ष के कारण जब दलित वर्ग शुद्र वर्ग (पिछड़ा वर्ग OBC)तथा सभी वर्ग की महिलाओं को पढ़ने-लिखने का अधिकार तथा मौका मिला तो स्कूलों में ही उस समय Mostly ब्राह्मण धर्म का साहित्य पढ़ाया जाता था,इसलिए कम पढ़े लिखे लोग ब्राह्मण धर्म की तरफ आकर्षित हुए और ऐसे कम पढ़े लिखे लोग घरों में रामायण, महाभारत, भगवत गीता आदि पुस्तकें (Book) खरीद लाये ,तथा वैदिक देवी-देवताओं के चित्र Photos खरीद लाए और ब्राह्मण धर्म को मानने लगे तथा दलित वर्ग को ब्राह्मण धर्म वैदिक धर्म का चौथा शूद्र वर्ण समझने लगे ।
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