Wednesday 26 December 2018

संजलि को न्याय दिलाने के लिए अम्बेडकर स्टूडेंट फोरम की आक्रोश सभा

संजलि को न्याय दिलाने के लिए अम्बेडकर स्टूडेंट फोरम की आक्रोश सभा

Just for Sanjali

वर्धा कैम्पस, 26 दिसम्बर, 2018
आगरा में बर्बरतापूर्वक जिंदा जला दी गई नाबालिग छात्रा संजलि के इंसाफ की आवाज को बुलन्द करने हेतु अम्बेडकर स्टूडेंट्स फोरम के बैनर तले आक्रोश सभा आयोजित हुई। उक्त सभा का आयोजन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय कैम्पस स्थित गांधी हिल पर हुआ। आक्रोश सभा के पूर्व कार्यक्रम में उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं ने संजली के फ़ोटो पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। सभा को संबोधित करते हुए उपासना गौतम ने कहा कि इक्कीसवीं सदी में भी भारत में दलितों पर चौतरफा हमले जारी हैं। महिलाओं को यौन हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है। संजलि की बर्बर हत्या इसी की एक कड़ी है। सनातनी वर्ण व्यवस्था के समर्थक संविधान को खुली चुनौती देते हुए मनुस्मृति को लागू करना चाहते हैं। आज लोकतंत्र पर खतरनाक ढंग से हमले हो रहे हैं, मनुस्मृति में यकीन रखने वाली शक्तियां ही सत्ता में बनी हुई हैं। हमलावर लगातार बेखौफ होते जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें सत्ता का खुला समर्थन हासिल है। दलितों पर जारी हमलों के खिलाफ ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां और मुख्यधारा की मीडिया शर्मनाक ढंग से चुप हैं। सभा को संबोधित करते हुए शिल्पा भगत ने कहा कि हम रेप कल्चर में जीने को मजबूर हैं। खैरलांजी की घटना की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि उस घटना में गांव के बड़ी तादाद में पुरुषों ने एक महिला के साथ बलात्कार को अंजाम दिया और गांव की महिलाओं ने भी उन्हें इसके लिए उकसाया था। यह सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है। भारत में इस रेप कल्चर की प्रकृति कास्टिस्ट भी होती है। यही कारण है कि सवर्ण महिला के साथ जब बलात्कार होता है तो पूरे देश का मुद्दा बनता है किंतु जब किसी दलित महिला के साथ ऐसी घटना होती है तो यह मुद्दा नहीं बनता। न्यायिक प्रक्रिया भी इन्हीं जातिवादी-ब्राह्मणवादी प्रवृतियों से ही संचालित होती है। पलाश किशन ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि योगीराज में उत्तर प्रदेश में महिला हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही है। राज्य सरकार तमाम मोर्चों पर विफल है। आगे डॉ.अस्मिता राजुरकर ने संजलि का उदाहरण देते हुए कहा कि राष्ट्र के निर्माण में हमारी संवेदनाएं जानने के लिए वास्तविकता को जानना जरूरी है। तभी राष्ट्र संवेदनशील बन पाएगा। दलित फेमिनिस्म क्यों अलग हुआ क्योंकि सवर्ण महिलाओं ने दलित महिलाओं को स्पेस ही नहीं दिया। महिलाओं पर हो रहे रेप की घटनाओं पर कानून के द्वारा लगाम लगाया जाए। इसके अतिरिक्त पन्नालाल धुर्वे, रवि चंद्रा, मुकेश कुमार आदि ने अपनी-अपनी बातें रखीं।  सभा का संचालन शुभांगी शंभरकर ने किया और आभार रजनीश कुमार अम्बेडकर ने किया। उक्त अवसर पर रंजीत कुमार निषाद, चैताली, कुसुम, आशु बौद्ध, रचना, प्रेरणा पाटिल, रविचंद्र, राजेन्द्र कुमार, रिमझिम, ओमप्रकाश बौद्ध, दिलीप गिरहे, वैभव पिम्पलकर, राजन प्रकाश, भंते राकेश आनंद, धीरेन्द्र यादव, पुष्पेंद्र, आरती, इन्द्रश्री बौद्ध, आलोक कुमार बौद्ध, राकेश विश्वकर्मा, कौशल यादव, अनिल कुमार, नरेश गौतम, क्रांति, ब्रजेन्द्र कुमार गौतम, शशिकांत यादव, दिलीप कुमार, सरफ़राज़, आबिद, आशिष कुमार, नीलूराम कोर्राम, कृष्णा निषाद, शशिकांत, धमरत्न, रविन्द्र, वैभव, सहित दर्जनों छात्र-छात्राएं उपस्थित हुए। 
जय भीम....जय भारत....जय संविधान....हूल जोहार....
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Bahujan Awaaz sagar

Jai Bheem My name is Rahul. I live in Sagar Madhya Pradesh. I am currently studying in Bahujan Awaj Sagar is a social blog. I publish articles related to Bahujan Samaj on this. My purpose is to work on the shoulders from the shoulders with the people who are working differently from the Bahujan Samaj to the rule of the people and to move forward the Bahujan movement.

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